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21वीं शताब्दी की संचार प्रौद्योगिकी का भारतीय जन जीवन-शैली पर प्रभाव | Original Article

Alpana Singh*, P. K. Sharma, in Shodhaytan | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

प्रस्तुत शोध पत्र में ‘‘21वीं शताब्दी की संचार प्रौद्योगिकी का भारतीय जन जीवन-शैली पर प्रभाव’’ का अध्ययन किया गया। इस शोध कार्य में शोधार्थी ने मैनपुरी शहर के 60 व्यक्तियों को न्यायदर्श के रूप में चुना है। जिसमें से 30 महिला एवं 30 पुरूष को लिया गया। आंकड़ों के संकलन के लिए उपकरण के रूप में संचार प्रौद्योगिकी एवं भारतीय जन जीवन-शैली से सम्बन्धित स्वनिर्मित साक्षात्कार अनुसूची का प्रयोग किया गया। किसी भी देश को विकास करने के लिए उसे अपनी सृजनात्मकता को दुनियाँ में फैलाने की आवश्यकता होती है। अपने आविष्कार एवं अपनी संस्कृति को दूसरे देशों तक पहुँचाकर ही वह उनका विकास कर सकता है एवं दुनियाँ में अपनी पहचान बना सकता है। जिसके लिए उसे संचार प्रौद्योगिकी की आवश्यकता होती है। जिन देशों के लोग नई तकनीकों को अपनाकर आगे बढ़ते है वे उन्नति की ओर अग्रसर होते हैं तथा उनकी संस्कृति की पहचान पूरे विश्व में होती है। 21वीं शताब्दी में संचार प्रौद्योगिकी को भारत में सामाजिक परिवर्तन, सामाजिक विकास एवं राष्ट्रीय प्रगति के लिए आवश्यक माना है। प्रस्तुत शोध कार्य से शोधार्थी को यह निष्कर्ष प्राप्त हुआ है कि वर्तमान में संचार प्रौद्योगिकी ने भारतीयों की जीवन-शैली में बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्तन किये हैं। जिससे उनकी जीवन-शैली में सुधार के साथ प्रगति भी हुई है। आज भारतीय पूरे विश्व में अपनी सृजनात्मकता के कारण जाने जाते है। उन्होंने अपनी नई सोच से पूरे विश्व में पहचान बना ली है। जो केवल संचार प्रौद्योगिकी के सहयोग से ही सुलभ हुआ है। क्योंकि किसी भी देश का नागरिक जितना उन्नत होता है वह देश भी उतना ही उन्नत होगा। देश से नागरिक और नागरिकों से देश बनता है।