वर्तमान में भारत में अभी भी शिक्षा की पहुँच सभी तक सुनिश्चित नहीं हो पाई है। आज भी भारत औपनिवेशिक शिक्षा.प्रणाली से जूझ रहा है। पाओलो .फ्रेरे के शिक्षा सम्बन्धी विचारों को तृतीय विश्व की परिस्थितियों के संदर्भ में जाना.समझा जाता रहा है और चूँकि भारत की परिस्थितियाँ भी काफ़ी हद तक तृतीय विश्व की परिस्थितियों के समान ही हैं। अतः, पाओलो फ्रेरे के शिक्षा सम्बन्धी विचारों से भारत की समकालीन परिस्थितियों की और अधिक बेहतर समझ प्राप्त की जा सकती है। फलस्वरूप, शिक्षा को ठीक प्रकार से नियोजित कर सभी तक इसकी गुणात्मक पहुँच को सुनिश्चित किया जा सकता है।